बजरी का अवैध खनन, भंडारण एवं परिवहन और इनसे संबंधित परिणाम

इस समय राजस्थान में बजरी का खनन एवं परिवहन बहुत बडा मुद्दा बना हुआ है। राजस्थान में बजरी खनन पर न्यायालय द्वारा रोक लगाने का नतीजा अवैध गतिविधियों के प्रारंभ होने के रूप में सामने आया हैं।  बजरी खनन पर 16 नवंबर, 2017 को उच्चतम न्यायालय की रोक के साथ ही बजरी के भंडारण एवं परिवहन जैसी गतिविधियां भी अवैध घोषित हो गई। चूंकि विकास एवं निर्माण कार्य तो बजरी के बिना चल नहीं सकते, इसलिए मांग को देखते हुए आपूर्ति के कई अवैध चैनल खड़े हो गये। समय-समय पर मीडिया और जनता द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किए जाते हैं कि इन अवैध तरीकों को स्वंय प्रशासन द्वारा ही शह दी जा रही हैं। कहा जाता हैं कि इनके माध्यम से पुलिस वसूली करके कमाई करती हैं। बजरी के अवैध खनन में पुलिस की संलिप्तता एक पक्ष हो सकती हैं, लेकिन इसका एक और पक्ष भी हैं, जिसमे खुद पुलिस पर ही बजरी माफिया द्वारा हमले किए जाते हैं। कुल मिलाकर बात यह हैं कि अवैध बजरी खनन पर्यावरणीय चिंताओं के साथ-साथ कानून-व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती हैं। इसके कई आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक पहलु भी हैं। इस आलेख में अवैध बजरी खनन से जुड़े विभिन्न प्रभावों का बहुआयामी अध्ययन किया जाएगा। बजरी खनन के साथ पर्यावरणीय प्रभाव हमेशा जुड़े रहते हैं। लेकिन इस आलेख में मेरा ध्यान उन प्रभावों को बताना हैं, जो कि इस अवैधता के कारण प्रमुखता से हो रहे हैं।

इससे पूर्व पिछले आलेख बजरी खनन पर न्यायिक रोक : कारण एवं समाधान में बताया था कि राजस्थान में किस प्रकार बजरी का खनन अवैध घोषित हो गया। न्यायालय द्वारा लगाईं गई रोक और उनसे संबंधित विभिन्न घटनाक्रमों को भी उसमे बताया गया हैं। 

पृष्ठभूमि

दरअसल, राजस्थान में बजरी खनन को लेकर एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने नवंबर, 2017 में आदेश दिया था कि बिना पर्यावरण स्वीकृति के चल रही बजरी खानें बंद की जाए। इसके साथ ही बजरी खनन से जुड़े 82 लाइसेंसों को रद कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि बिना पर्यावरणीय मंजूरी और अध्ययन रिपोर्ट के खनन की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इसके बाद से राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगी हुई है। उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण मंत्रालय से कहा था कि वो पर्यावरणीय स्वीकृति का काम जल्द पूरा करे। लेकिन यह काम अभी भी चल रहा है। इसका नतीजा अवैध खनन के रूप में सामने आया। अवैध खनन पर रोक लगाने में प्रशासन की विफलता पर न्यायालय द्वारा अवमानना नोटिस तक जारी किये जा चुके हैं। 

राजस्थान के पाली जिले में सुमेरपुर और शिवगंज के बीच बहने वाली जवाई नदी में बजरी का अवैध खनन सबसे ज्यादा हो रहा है। इसके अलावा सुमेरपुर उपखंड क्षेत्र की सभी नदियों में अवैध बजरी खनन का कार्य जोरों पर है। इसके अलावा टोंक जिले में बनास नदी, सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखंड के बिलोली नदी और श्यामोली बनास नदी के पास बजरी का अवैध खनन चल रहा है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार बनास में आज भी 1800 से दो हजार ट्रोलियां रोजाना बजरी का अवैध परिवहन हो रहा है। एक ट्रॉली में 14 से 16 टन तक माल भरा जा रहा है। एक ट्रॉली की कीमत 1000 प्रति टन के हिसाब से 16 हजार तक पडती हैं। इस प्रकार बनास नदी में रोजाना 32 हजार टन अवैध खनन होता हैं, जिसकी कीमत ढाई करोड़ से ज्यादा है। रोज 80% बजरी दौसा की तरफ जाती हैै। बाकी 20% बजरी दूसरे इलाकों से निकल रही है, जो श्योपुर मध्यप्रदेश व टोंक जिले से होकर जयपुर की तरफ सप्लाई की जा रही है। [1]

इस स्तर पर खनन एवं परिवहन ऐसे समय पर हो रहा हैं, जब पूरा प्रशासन बजरी के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए विशेष अभियान चला रहा है। इससे समस्या का गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता हैं।

1. अवैध बजरी खनन के विभिन्न प्रभाव

अवैध बजरी खनन न केवल पर्यावरण के निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी हैं, बल्कि इसके आर्थिक एवं सामजिक निहितार्थ भी हैं, जिन्हें इस प्रकार समझा जा सकता हैं :    

1.1. अवैध खनन के पर्यावरणीय प्रभाव 

अवैध बजरी खनन एक बड़ी समस्या बन चुका है। अनियंत्रित, बेहिसाब तथा अवैध बजरी खनन से न केवल लाखों करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है, अपितु नदियों का पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित हो रहा है। 

  • जैव विविधता को खतरा : बजरी कई जलीय उभयचर प्राणियों के लिए आवास तथा प्रजनन हेतु स्थान प्रदान करती है। इसलिए बेलगाम खनन के कारण कई जीव-जन्तुओं के लिए पर्यावास का संकट उत्पन्न हो गया हैं। 
  • नदी का क्षरण : नदी में रेत-पत्थरों की उपस्थिति गति के नियंत्रण और भूमिगत जल की आपूर्ति में सहायक होती है। खनन के कारण जलधारा का तल गहरा हो जाने से नदी के तटों का कटाव बढ़ जाता है। साथ ही वर्षा के जल को रोकने में असमर्थता दिखाई देती है, जहां कुछ दिनों पहले पानी की किल्लत थी, वहां पर भी बाढ़ आ जाती है। इस प्रकार यह नदी के क्षरण का कारण बनती है। 
  • भूजल स्तर : वर्षा के जल या प्रवाहित जल के नहीं रुकने के कारण निकटवर्ती क्षेत्रों में भूजल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है। साथ ही भूजल प्रदूषित भी होता है। 
  • नदी के दोनों ओर के वन क्षेत्र प्रभावित होते हैं, जिससे मृदा अपरदन, भूस्खलन और बाढ़ की समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। 

माननीय सुप्रीम कोर्ट भी अपने निर्णय में इसको जैव विविधता के लिए खतरा बता चुकी है और इसलिए खनन में पर्याप्त निगरानी और नीति की आवश्यकता पर बल दिया है। [2]

1.2. निर्माण कार्यों पर प्रभाव

  • बजरी बंद होने से प्रदेश के विकास कार्य अवरुद्ध हो गए हैं। सरकारी प्रोजेक्ट के साथ-साथ मकान-दुकान बनाना भी मुश्किल हो गया है।
  • बजरी के दाम आसमान पर चढ़ गए हैं। 16 नवंबर 2017 से पहले जयपुर के आसपास के क्षेत्रों में अंडरलोड परिवहन करते हुए बनास की बजरी 600 रुपए प्रति टन के हिसाब से सप्लाई की जा रही थी, अब अवैध बजरी को ओवरलोड परिवहन करते हुए 1500 रुपए टन तक बेचा जा रहा है। तीन साल पहले 50 टन बजरी का ट्रक 30 हजार रुपए में मिल रहा था।अब 50 टन बजरी का ट्रक 75 हजार रुपए में आ रहा है। [3]

1.3. बजरी खनन कार्य से जुड़े लोगों पर प्रभाव

  • बजरी खनन कार्य से जुड़े लोगों पर इसके प्रभाव को हम इस प्रकार समझ सकते हैं : 
  • करीब एक लाख मजदूर, ट्रक ऑपरेटर बेरोजगार बैठे हुए हैं। ट्रक ऑपरेटर्स के लिए वाहनों की किस्त निकलना भी मुश्किल होता जा रहा हैं। लीज धारकों का करोड़ों रुपए का इंफ्रास्ट्रक्चर जंग खा रहा है।
  • अवैध बजरी खनन के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने के कारण मजदूरों की भी लगातार मौत हो रही है, जिसकी कोई भी सुध लेने वाला नहीं है।
  • आसपास के गांवों के लोग जो अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए खनन करते हैं, उनको माफिया घोषित कर दिया गया। कई किसानों की ट्रोलियाँ जब्त हैं, जिन पर एक लाख तक के जुर्माने हैं।
  • बजरी के कार्य में लगे लोगों से पुलिस द्वारा अवैध वसूली की जा रही हैं।

1.4. विधि व्यवस्था पर प्रभाव

अवैध बजरी खनन द्वारा विधि-व्यवस्था एवं प्रशासनिक संरचना के सापेक्ष कड़ी चुनौती पेश की जा रही हैं :

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा बजरी खनन पर रोक के कारण राज्य भर में बड़े स्तर पर अवैध खनन को बढ़ावा मिला है। बजरी माफियाओं ने सांठगांठ से बनास में गहरे गड्ढे कर दिए हैं। इसके कारण भ्रष्टाचार की गंगा बह निकली, जिसमें पुलिस से लेकर नेताओं तक ने खूब लाभ कमाया। पुलिस विभाग में इससे मनचाही पोस्टिंग का खेल शुरू हुआ।
  • माफियाओं द्वारा कई जगह पर मनमानी की जा रही है तथा खान विभाग के अधिकारी और आम जनों को वाहनों के नीचे कुचल रहे हैं। सड़कों पर गहरे गड्ढे हो गए हैं और धूल पड़ी रहती हैं।
  • अवैध रूप से चलने वाले बजरी के ट्रक राजस्थान मे कई लोगों की जान ले चुके हैं। पिछले दिनों जयपुर में एक ट्रक चालक ने तो उसे रोकने वाले एक व्यक्ति पर ट्रक चढ़ा कर उसे कुचल दिया था।
  • राजस्थान पुलिस के कई अधिकारी और सिपाही इन ट्रक चालकों से अवैध वसूली के मामले में पकड़े गए हैं और यह मामला पुलिस तथा खनन विभाग मे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। इस स्थिति को देखते हुए किसी ने कहा हैं कि “राजस्थान में अवैध बजरी सोना उगल रही है”। [4]

खंड II

2. अवैध परिवहन

सवाई माधोपुर जिले के लगभग 51 गांवों से होकर बनास नदी गुजरती हैं। जिले से दुसरे स्थानों पर होने वाले बजरी परिवहन को रोकने के लिए कई स्थानों पर चेक पोस्ट बनाई गई है - मित्रपुरा, शिशोलाव, जस्टाना, श्यामोली, चकबिलोली, खंडेवाला, पाली ब्रिज के अलावा पांच स्थानों पर बेरिकेडिंग की हुई हैं। जहां पर करीब 60 पुलिसकर्मी तैनात हैं। लेकिन फिर भी बजरी परिवहन पर रोक नहीं लग पाती हैं।

अवैध परिवहन को रोकने में आ रही बाधाएं :

  • पुलिस का समझौतावादी रवैया :  माना जाता हैं कि पुलिस का रवैया समझौतावादी हैं। चेक पोस्ट से पुलिसकर्मियों की माफिया के साथ मिलीभगत के बिना निकास संभव नहीं हो सकता हैं। यहां से पुलिस को भारी मात्रा में अवैध वसूली प्राप्त होती हैं। इसलिए वे वाहनों को निकल जाने देते हैं और कभी-कभार कार्यवाही जैसी औपचारिकताएं कर लेते हैं। लेकिन पुलिस नाके से वाहनों के गुजरने के दावों को नकारते हैं। यहां तैनात जवानों का मानना हैं कि बजरी के वाहन नाके के बजाय कच्चे रास्ते से निकलते हैं। उन पर कार्यवाही के लिए हम थाने पर सूचना देने के अलावा कुछ नही कर सकते। इन दोनों ही पक्षों में सच्चाई हैं, अथार्त वाहन नाके से वसूली देकर भी गुजरते हैं और कच्चे रास्तों से भी। इसके अलावा एक पक्ष और हैं, उसके अनुसार माफिया द्वारा नाके से ही तेज रफ़्तार में आक्रामक तरीके से वाहन निकाले जाते हैं। 
  • बेलगाम बजरी माफिया : बजरी माफियाओं की आय एवं लाभ इसी पर निर्भर करती हैं और महंगे वाहन जैसे निवेशों के कारण वे मरने-मारने को तत्पर रहते हैं। इसलिए माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद होते हैं कि वे वाहनों को बेरिकेड तोड़कर निकाल ले जाते हैं। अगर रोकने का प्रयास किया जाता हैं, तो वे वाहन ऊपर चढाने को तैयार रहते हैं।

  • जुर्मानों से बचने के लिए आक्रामकता : नदी के आसपास के कई ग्रामीणों ने आजीविका के लिए बजरी आपूर्ति करने हेतु ट्रेक्टर-ट्राली खरीद रखे हैं, वे महंगे जुर्मानों और अधिक चक्करों के कारण आक्रामक अंदाज में ड्राइविंग करते हैं। पुलिस द्वारा कार्यवाही करते समय इनको भी माफिया ही बताया जाता हैं।
  • शोपिस चेक पोस्ट : चेक पोस्ट की प्रभावशीलता के लिए जरुरी हैं कि फले भी कुछ अवरोधक बनाए जाए। बजरी माफियाओं  के आक्रामक अंदाज की वजह यह हैं कि चेक पोस्ट से पहले खनिज या दुसरे विभाग की निगरानी नहीं हैं। पुलिस के पास भी बेरिकेड एवं अन्य संसाधन पर्याप्त नहीं हैं।

3. अवैध बजरी परिवहन के प्रभाव

बजरी का परिवहन करने वाले वाहनों के कारण अब तक 155 बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन अलग-अलग दुर्घटनाओं में आधिकारिक रूप से 24 लोगों की मौत हो चुकी हैं। बजरी रोकथाम का प्रयास करते समय पुलिस एवं खनिज विभाग की टीम पर 13 हमले हो चुके हैं। इस प्रकार अवैध परिवहन एक गंभीर समस्या हैं, इससे जुड़े प्रभावों को हम इस प्रकार समझ सकते हैं :

3.1. बेलगाम बजरी माफिया

  • पुलिस की सख्ती के बावजूद सभी व्यवस्थाएं नाकाम साबित हो रही है। बजरी माफिया राजस्थान में इस हद तक बेखौफ हो गया है कि बजरी खनन रोकने वाले अधिकारियों पुलिस कर्मचारियों और आम जनता पर हमला तक कर देता हैं।
  • प्रदेश में बजरी माफिया पूरी तरीके से बेलगाम होता जा रहा है। माफिया को ना तो कानून का डर है ना ही प्रशासन का भय। बजरी माफिया के हौसले तो प्रदेश में इस कदर बेखौफ है की वो अब किसी की जान लेने से भी नहीं चूकते। पुलिस प्रशासन का हाल तो ऐसा है की आये दिन पुलिस और खनन विभाग के अफसरों पर भी हमले हो रहे है। बजरी माफिया के आगे पुलिस व्यवस्था बोनी नजर आ रही है।
  • प्रदेश में हाल तो ऐसा है की कई इलाकों में आम लोग भी माफिया को बचाने के लिए पुलिस पर हमला करने से भी नहीं कतराते।

3.2. अफसरों पर हमले

बजरी माफियाओं के खिलाफ जो भी आवाज उठाते हैं, तो वे जान तक ले लेते हैं। ग्राम पंचायत हथड़ोली के तत्कालीन सरपंच रघुवीर मीना की चरागाह में बजरी स्टाॅक करने वाले माफियाओं ने 14 फरवरी, 2018 को हत्या कर दी थी। जिन्होंने 2014 में अवैध बजरी खनन कर चरागाह में अतिक्रमण करने के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाल ही में धोराला गांव में 22 जनवरी को पुलिस व प्रशासन ने माफियाओं के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में बौंली एसडीएम पर बजरी माफयाओं ने हमला कर घायल कर दिया था। [5]

3.3. सड़कों की दुर्दशा

  • सड़कों की बदहाली : बजरी के वाहनों द्वारा डामरीकृत एवं सीमेंटेड सड़क बहुत कम ही समय में खराब हो जाती हैं। सड़कों में गड्डे बन जाते हैं। ऐसी बदहाल सड़कों से निकलने पर बरसात या रात्रि के समय में दुर्घटना की संभावना बनी रहती हैं।

  • सड़क दुर्घटना: बजरी के वाहन बहुत ही तेज गति से चलाते हैं। इस वजह से रास्ते में चलने वाले राहगीर, छोटे वाहन इनकी टक्कर से दुर्घटनास्त हुए हैं, जिसमे जीवन की क्षति भी होती हैं। आबादी क्षेत्रों में भी इनकी रफ़्तार नहीं थमती हैं। आबादी क्षेत्रों में तेज आवाज में गाने चलाते हुए निकलने के कारण कई बार वाहन मालिकों और ग्रामीणों के मध्य झगडे भी होते रहते हैं।
  • सड़कों पर बजरी के ढेर : जिन मार्गों से बजरी का परिवहन होता हैं, उन मार्गों पर बजरी सड़क पर पड़ी रहती हैं। बजरी के कणों के वाहन चलाने वालों की आँखों में जाने से दुर्घटना की आशंका हमेशा रहती हैं। परन्तु इस समस्या का एक और गंभीर रूप हैं। जब बजरी के वाहनों पर कार्यवाही करने के लिए उनका पीछा किया जाता हैं, तो वे ट्रोली को मार्ग में ही खाली करके भाग जाते हैं। इसके कारण सड़क अवरुद्ध हो जाती हैं। रात्रि में कई बार इन ढेरों के नहीं दिखाई देने के कारण दुर्घटना भी हो चुकी हैं। [6]

खंड III

4. बजरी का अवैध भंडारण

बजरी आपूर्ति की श्रृंखला में यह भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। नदी के आसपास के लोग नदी से बजरी लाकर खातेदारी या सरकारी जमीन पर भंडारण कर लेते हैं। इससे कई फायदे होते हैं, जैसे कि भारी वाहनों को नदी में जाने की दिक्कत नहीं रहती, वे यही से भरकर आपुर्तिस्थल पर चले जाते हैं। दूसरा यह हैं कि बरसात के दिनों में भंडारण की हुई बजरी के माध्यम से आपूर्ति जारी रखी जा सकती हैं।


समय-समय पर प्रशासन द्वारा इन्हें जब्त या खुर्द-बुर्द किया जाता हैं। जब्त भंडारों की खान विभाग द्वारा नीलामी कर दी जाती हैं। नष्ट करते समय इन्हें जेसीबी से फैला दिया जाता हैं। अगर इस प्रकार का भंडारण खातेदारी भूमि पर होता हैं तो उन काश्तकारों को बेदखल करने की कार्यवाही की जाती हैं। शायद यही वजह हैं कि माफियाओं द्वारा भंडारण के लिए सरकारी जमीन का प्रयोग किया जाता हैं। इन पर निगरानी रखने एवं सख्त कार्यवाही की आवश्यकता हैं। [7]


निष्कर्ष 

रोक होने के बावजूद बजरी का अवैध खनन, भंडारण एवं परिवहन एक बड़ी समस्या हैं। इस वजह से न तो पर्यावरण का निम्नीकरण रुकता हैं और न ही सरकार को राजस्व की प्राप्त होती हैं। जबकि माफिया और भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मियों को भारी मात्रा में काली कमाई करने का मौका मिलता हैं। वसूली का कार्य इस पैमाने पर किया जा रहा हैं कि यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं कि बजरी सोना उगल रही हैं। कार्यवाही की मात्रा को पर्याप्त रूप से बढाये जाने की आवश्यकता हैं।

संदर्भ

[1]. अवैध खनन के पर्यावरणीय प्रभाव [india water portal]

[2]. बनास से रोजाना 32 हजार टन बजरी का निकास। [dainik bhaskar]

[3]. बजरी के दामों में वृद्धि, निर्माण कार्य अवरुद्ध। [dainik bhaskar]

[4]. बजरी माफिया से मिलीभगत, हैड कांस्टेबल निलम्बित। [patrika]

[5]. धोराला गांव में कार्रवाई करने गए बौंली एसडीएम पर बजरी माफिया का हमला। [Dainik Bhaskar]

[6]. सड़कों पर बजरी के ढेर, वाहन चालकों को मुश्किलें। [Dainik Bhaskar]

[7]. बजरी के अवैध भंडारण पर कार्यवाही। [Zee News || Patrika ]

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