इससे पूर्व के 2 आलेख में हम अवैध बजरी खनन की समस्या के कारण एवं प्रभावों के बारे में विभिन्न आयामों की जानकारी दे चुके हैं। जबकि इस आलेख में हमारा ध्यान सीधे इस समस्या से पार पाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गये प्रयासों एवं उनकी सीमओं का अध्ययन करने पर हैं।
1. अवैध खनन से जुडी विसंगतियों पर सरकार की प्रतिक्रिया और उनकी नियति
अवैध खनन से न तो राजस्व प्राप्त हो रहा है, और न ही पर्यावरण का निम्नीकरण रुक रहा है। इसलिए अवैध खनन से जुडी विसंगतियों को रोकने एवं समाप्त करने के लिए सरकार ने कई प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं, जो कि इस प्रकार हैं :
1.1. अवैध खनन पर रोक
अवैध खनन से जुडी विसंगतियों को रोकने के लिए सबसे पहले तो अवैध खनन पर रोक लगायी जानी चाहिए। इसके लिए जिला स्तर पर डीएम को जवाबदेह बनाया गया है। फिर भी इसके लिए प्रशासन द्वारा किये जाने वाले प्रयास नाकाफी हो रहे हैं। इसके बावजूद भी अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण पर रोक नहीं लग पायी हैं।
1.2. बजरी के वैध खनन को शुरू करवाने का प्रयास
राजस्थान सरकार ने खनन शुरू करवाने के लिए कई प्रयास किए हैं, इसके लिए किए गए विभिन्न उपाय इस प्रकार है :
- फिर से नीलामी की तैयारी : राजस्थान सरकार ने 2018 में पुरानी नीलामी की खानों पर पर्यावरणीय अनुमति के अभाव में रोक लगा दी थी। ऐसे में सरकार ने फिर से नीलामी की तैयारी शुरू की थी। इस बार सरकार ने नीलामी के लिए 800 छोटे प्लाट राज्य भर में आवंटन के लिए चयनित किए। इनको लेकर आशा व्यक्त की जा रही थी कि इनका आकार छोटा होने के कारण पर्यावरण अनुमति में भी दिक्कत नहीं आएगी। ऐसे में नीलामी के बाद राज्य में बजरी खनन चालू हो सकेगा। लेकिन पुरानी नीलामी के मंशा पत्र धारकों द्वारा न्यायालय में चले जाने के कारण यह योजना अटक गई। [1]
- निजी खातेदारी भूमि से खनन की अनुमति : सरकारी जमीन पर बजरी खनन पर रोक के बाद एक हेक्टेयर तक की निजी खातेदारी भूमि से खनन के लिए खान विभाग ने आवेदन आमंत्रित किये थे। परंतु इनमें से अधिकतर आवेदनों पर पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त नहीं हो सकी। जहाँ कही अनुमति प्राप्त हुई, वहां खातेदारी भूमि की आड़ में नदी से खनन आरंभ हो गया। लोग नदी से बजरी भरकर लाते और खातेदारी भूमि के पास से रवन्ना लेकर आराम से परिवहन कर रहे थे। (अधिक विस्तृत 2.2 में)
1.3. बजरी पर रोक से विकास कार्य प्रभावित नही हो, इसलिए वर्क परमिट का प्रावधान
सरकारी अवसंरचना विकास एवं निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली बजरी के खनन एवं परिवहन के लिए वर्क परमिट जारी किए जाते हैं। ताकि बजरी खनन पर रोक की वजह से विकास कार्य अवरुद्ध नहीं हो। लेकिन वर्क परमिट समस्या के समाधान के बजाय अपने आप में ही अवैध खनन का एक और जरिया बन गया।
1.4. बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड को प्रोत्साहन
- एम सैंड को बजरी के विकल्प के तौर पर देखा गया। बजरी खनन पर रोक के बाद राज्य में एम सैंड के संयंत्र लगना शुरू हो गये हैं। एम सैंड उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में राजस्थान प्रधान खनिज रियायत नियम 2017 में संशोधन प्रस्तावित है। राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति 2019 में एम सैंड मैन्युफैक्चरिंग पर दी जाने वाली सहायता का विवरण है।
- एम सैंड नीति की घोषणा [2]
- कुछ जगह पर पत्थरों को पीसकर एम-सैंड तैयार की गई, लेकिन यह बजरी मकानों के कार्यों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाई।