मौजूदा घटनाक्रम :
दरअसल, 4 जनवरी 2021 को सुबह करीब 8 बजे जयसिंहपुरा के दर्जनों ग्रामीण तहसील कार्यालय खंडार पर ज्ञापन देने पहुंचे थे। यहां ग्रामीणों द्वारा खंडार तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर गांव की चरागाह, सिवायचक व आबादी भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की गई। जिस पर प्रशासन द्वारा उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। इससे एक दिन पूर्व भी इस मामले में उनके द्वारा प्रशासन को ज्ञापन दिया गया था। और आज भी कार्रवाई के लिए प्रशासन की कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही थी। ऐसे में देर शाम तक भी सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीण भड़क गए और तहसील कार्यालय में ही करीब 30 लोग धरने पर बैठ गए। इनका कहना था कि जब तक संपूर्ण सरकारी जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है, तब तक वे धरनास्थल से किसी भी सूरत में नहीं उठेंगे।
अब बात यह हैं कि यह समस्या तो कई जगह देखने को मिल जाती हैं फिर इनकी समस्या में क्या गंभीरता थी, जो इन्होने इतना बड़ा कदम उठाया।
1. आइये इस मामले की पृष्ठभूमि को समझते हैं
इस मामले को हम शुरू से ही समझते हैं।
- सरकारी भूमि पर अतिक्रमण : ग्रामीणों ने बताया हैं कि वे पिछले 15 सालों से लगभग 150 बीघा चरागाह, शिवायचक व आबादी भमि पर अतिक्रमण से परेशान हैं। सरकारी खाली भूमि की अनुपलब्धता के कारण उन्हें मवेशी चराने में परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। जबकि अतिक्रमियों द्वारा उस पर खेती की जा रही हैं या घर बना लिए गये हैं।
- भूमाफियाओं द्वारा सरकारी भूमि पर ही प्लाट काट कर बेचना : यह गांव खंडार तहसील मुख्यालय से थोड़ी ही दुरी पर हैं। इसलिए शहरी क्षेत्र के आसपास रहने को इच्छुक लोगो को भूमाफियाओं द्वारा इन जमीनों पर प्लाट काट कर बेच दिए गये।
- ग्राम पंचायत द्वारा पट्टे जारी कर देना : जयसिंहपुरा गाँव, गोठड़ा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता हैं। ऐसे में अतिक्रमियों को गोठड़ा ग्राम पंचायत से आसानी से अवैध पट्टे भी प्राप्त हो गये। जब जयसिंहपुरा के पुरे ग्रामीण इन अतिक्रमियों के विरुद्ध हैं तो उन्हें किस की शह प्राप्त हो रही हैं, तो इसका जवाब यहाँ से प्राप्त किया जा सकता हैं। हो सकता हैं, इसमें दोनों गांवों की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का आयाम भी शामिल हो।
- शिकायत : जब इन लोगो को फर्जी पट्टे भी प्राप्त हो गये तो जयसिंहपुरा के लोगो ने प्रशासन से शिकायत की।
- संपूर्ण भूमि का सीमांकन : प्रशासन द्वारा वर्ष 2011 में संपूर्ण भूमि का सीमांकन करवाया गया।
- फर्जी तरमीम का खुलासा : वर्ष 2011 में राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा गांव की संपूर्ण चरागाह व सिवायचक भूमि का सीमाज्ञान करवाकर रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसमें कई खातेदारों का मौके पर कब्जा काश्त ही नहीं पाया गया था। जबकि राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा बिना कब्जा काश्त भूमियों पर ही कई फर्जी तरमीम भी की गई थी। इन सबका सीमाज्ञान के दौरान खुलासा हो गया था।
- न्यायालय द्वारा फर्जी तरमीम खारिज : राजस्व न्यायालय द्वारा इनमे से कई फर्जी तरमीम को खारिज कर दिया गया।
- राजस्व विभाग द्वारा बेदखली की कार्यवाही नहीं करना : राजस्व न्यायालय द्वारा फर्जी तरमीम खारिज होने के बावजूद राजस्व विभाग के अधिकारियों की नाकामी के चलते मौके पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
- भूमाफियाओं के हौसले बुलंद/प्रोत्साहन : कोई कार्यवाही नहीं होने से भूमाफियाओं को प्रोत्साहन मिला और उन्होंने फिर से निरस्त तरमीम वाली भूमि पर ही प्लाट काटकर बेच दिए। ग्रामीणों का यह भी मानना हैं कि अतिक्रमण राजस्व कर्मियों की भूमाफियाओं के साथ मिलीभगत के कारण हुआ है।
- शिकायत पर कार्यवाही नही होना : इनके विरुद्ध जयसिंहपूरा गाँव के लोगों ने बार-बार प्रशासन को अपनी शिकायत प्रस्तुत की। अब तक करीब एक दर्जन से अधिक बार प्रशासन को ज्ञापनों के माध्यम से शिकायत कर चुके है, लेकिन प्रशासन द्वारा हर बार अतिक्रमण हटाने का आश्वासन देकर उनके साथ धोखा किया जाता रहा है। प्रशासन द्वारा कार्यवाही के लिए कभी भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। ऐसे में पूरे गांव में प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है।
इस प्रकार इस समस्या की दीर्घकालिक प्रकृति के कारण इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि निर्मित हुई।