समाज के विभिन्न वर्गों पर मुद्रास्फीति का असमान वितरण


मुद्रास्फीति आज हर क्षेत्र में अपने पांव पसार चुकी हैं। ऐसी अब कोई भी चीज नही बची होगी जो अपनी कीमतों में पिछले आठ-दस पुरानी कीमत संरचना से समानता दर्शाती हो। सब चीजो की कीमतों में भारी अंतर आ गया हैं। महंगाई की मार खाद्य सामग्रियों से लेकर भारी मशीनरी तक में सब जगह देखी जा सकती हैं। और कम-ज्यादा सभी वर्गों को प्रभावित करती हैं। महंगाई एक अलग से बनकर मुद्दा बन गया हैं जिस पर राजनीती की जा सकती हैं और जनता भी उनको प्रतिक्रिया दे कर इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं।

 महंगाई का तुलनात्मक असर
महंगाई का असर हम गरीब और अमीर वर्ग पर अलग-अलग देखते हैं। एक वर्ग को दैनिक जीवन की सभी उपयोगी वस्तुओ पर इसका असर देखने को मिलता हैं ,जब की दूसरे वर्ग के लिए यह असर  उसकी क्रय शक्ति के दायरे में आने के कारण अप्रभावी रहता हैं।
अमीर वर्ग की क्रय शक्ति का दायरा अधिक होने के कारण उसे केवल भौतिक चीजो में ही महंगाई का सामना करना पड़ता हैं , और इनकी खरीददारी कभी कभार ही की जाती हैं इस प्रकार यह वर्ग मुद्रास्फीति  से अनभिज्ञ ही रहता हैं। साथ ही इनकी भौतिक चीजो के मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहने के कारण इसमें भी कम ही मुद्रास्फीति रहती हैं।
अमीर और गरीब वर्ग के बीच में हम एक मध्यम वर्ग को लेकर चलते हैं जिसकी आय निम्न वर्ग से थोड़े ऊपर से शुरू होकर काफी आगे तक जाती हैं।  इस वर्ग की आय नियमित होती हैं इस प्रकार यह वर्ग अपने आप को निम्न वर्ग से अलग करता  हैं। यह वर्ग दैनिक जीवन में भी महंगाई का सामना करता  हैं जो इसकी क्रय शक्ति को प्रभावित करता हैं। क्रय शक्ति प्रभावित होने से भौतिक साधनो को बसाने में इस वर्ग को अधिक समय लगता हैं। इस प्रकार यह वर्ग भौतिक सुविधाओ के साथ दोनों ऊपर व नीचे के वर्ग के बीच दोलायमान स्थिति दर्शाता हैं।
अब सबसे निम्न वर्ग के पास आते हैं इसमें में उन सभी परिवारो को शामिल करता हूँ जिनकी आय नियमित नही हैं तथा उद्योग व सेवा क्षेत्र से संबंधित नही हो। जैसे की कृषि या उससे संबंधित कार्यो में कार्यरत लोगो की आय नियमित नही होती हैं। असंघटित क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग भी इसी दायरे में आते हैं।

निम्न वर्ग की व्यथा 
इस वर्ग की आय अनियमित होने के साथ-साथ बहुत ही कम होती हैं। इनको दैनिक जरुरतो के लिए सबसे ज्यादा महंगाई को उठाना पड़ता हैं, इस कारण इनकी क्रय शक्ति ही विकसित नही हो पाती। इस वर्ग में भौतिक साधनो की कमी अत्यधिक रहती हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के पारिवारिक आयोजन इन्हे कर्ज के तले धकेल देते हैं।
ऊपर से देखने पर एकमात्र ये ही वर्ग हैं जिसे पारिवारिक सदस्यों की जरुरतो, जैसे की -शिक्षा ,स्वास्थ्य, वस्त्र,आवास आदि के लिए भी ऋणग्रस्तता झेलनी पड़ती हैं। इस वर्ग में शिक्षा का काफी अभाव हैं इसलिए अपनी आय को बढ़ने के लिए दूसरे जीविका निर्वाह के साधन भी चुन नही पाते हैं।
इस वर्ग की दूसरी पीढ़ी भी पैसे के अभाव में गुणवत्ताहीन जगहों से शिक्षा प्राप्त कर रही हैं जो उन्हें केवल पढ़े लिखे मजदुर से ज्यादा कुछ नही बनाएगी। इनमे से कुछ मेधावी छात्र ही छात्रवृति या फिर अन्य अनुदानों अथवा कर्जे लेकर अपनी पढाई आगे नियमित कर पाते हैं। कुछ छात्र तो बाहर जाकर पढाई करने में होने वाले खर्चे या महंगी फीसों से बचने के लिए पढाई या तो छोड़ देते हैं या फिर  गुणवत्ताहीन जगहों से जारी रखते हैं। इस प्रकार शिक्षा के द्वारा कौशल विकसित कर इस वर्ग की आय बढ़ाने का विकल्प भी अप्रभावी लगता हैं।

दूसरी बात यह हैं की इस वर्ग को महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए कोई सहायता भी नही मिलती हैं। जबकि मध्यम वर्ग  आदि को महंगाई भत्ते ,करो में कटौती आदि महंगाई रोधी विकल्प मिलते हैं। सरकार से पूछने पर वो सब्सिडियों की याद दिलाती हैं जिसे वो निम्न और गरीब वर्ग की सभी समस्याओ का सार्वभौमिक जवाब मानते हैं। तथा कुछ संकीर्ण सोच वाले बुद्धिजीवी तो यहां तक दावा कर देते हैं की सरकार द्वारा खर्च किया जाने वाला पैसा मध्यम वर्ग के करो का हैं इसे एक अनुत्पादक वर्ग पर कैसे खर्च किया जा सकता हैं।

महंगाई के प्रभाव से निपटने के लिए एक विकल्प बैंको से कर्ज का हैं। परन्तु पहली बात यह सरकार का केवल हाजिरजवाबी विकल्प हैं क्यूंकि निम्न वर्ग सर्वाधिक पीड़ित खाद्य मुद्रास्फीति से रहता हैं और कोई भी सब्जियां खरीदने के लिए न तो कर्ज लेता हैं और नही कोई देता हैं। अब बात आती हैं भौतिक सुविधाओ या फिर पारिवारिक आवश्यकताओं के लिए कर्ज प्राप्त करने की तो, इनकी प्रक्रिया भ्रष्टाचार या फिर कामचोरी की वजह से इतनी जटिल हैं की  एक अशिक्षित किसान बिना किसी बिचोलिये के आगे बढ़ ही नही सकता। इस प्रकार यह विकल्प जटिलताओं भरा हैं और इसमें भी कुछ लोग प्राथमिक क्षेत्र की कर्ज सीमा को कम करवाने के प्रयास में लगे हुए हैं, तथा NPA  आदि को इस से जोड़ रहे हैं भले ये सब को पता हैं की इस क्षेत्र का NPA बहुत ही कम हैं।

इस प्रकार हम देख चुके हैं की महंगाई से सबसे ज्यादा कम आय वाला व्यक्ति प्रभावित होता हैं।  

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