सहकारिता निरीक्षक की प्रोफाइल, कार्य एवं उत्तरदायित्व

RAS-2018 के सेवा आवंटन में मुझे सहकारिता अधीनस्थ सेवा आवंटित हुई, जिसके माध्यम से विभिन्न कार्यालयों में सहकारिता निरीक्षकों की नियुक्ति की जाती हैं। सेवा आवंटित होते ही 27 दिसम्बर 2021 को हमे नेहरु सहकार भवन जयपुर में आकर नियुक्ति ग्रहण करने को कहा गया था। निर्धारित तिथि को वहां पहुंचने पर हमसे नियुक्ति ग्रहण पत्र, शपथ पत्र एवं पोस्टिंग के लिए पांच जिलों की प्राथमिकता भरवाई गई। शपथ पत्र जुडिशल स्टाम्प पर देना था, तो थोड़ी ही दुरी पर स्थित हाई कोर्ट परिसर पर जाकर सभी साथी बनवाकर लाये थे। इस शपथ पत्र पर दो Surety और दो ही गवाहों के हस्ताक्षर करवाने थे, जो कि सभी ने एक दुसरे से करवाए थे। कुछ ऐसे भी नवनियुक्त निरीक्षकगण थे, जो RAS-2021 की मुख्य परीक्षा की तैयारी या पुरानी नोकरी से कार्यमुक्त नहीं होने या फिर अन्य कारणों से अपनी नियुक्ति ग्रहण करने की तिथि में विस्तार (Extension) चाहते थे। ऐसे साथी नियुक्ति संबंधित प्रपत्रों को भरने के बजाय विस्तार (Extension) हेतु सादे कागज़ पर प्रार्थना पत्र देकर आ गये थे। अगले दिन नियुक्ति ग्रहण करने वाले साथी चतुर्थ तल पर स्थित कांफ्रेंस हॉल में उपस्थित हुए, वहां पर सर्विस बुक बनवाई गई तथा संयुक्त रजिस्ट्रार (प्रशासन) मैडम ने उदबोधित किया और कई साथियों की शंकाओं का समाधान भी किया। तीसरे दिन भी हम सहकार भवन गए, हमे उम्मीद थी कि भरी गई प्राथमिकताओं के आधार पर किसी न किसी जिले में पोस्टिंग दे दी जाएगी। परन्तु पोस्टिंग आर्डर 21 जनवरी 2022 को जाकर जारी हो पाए। 

पोस्टिंग आर्डर

पोस्टिंग आर्डर जारी होने पर सभी साथियों को अलग-अलग कार्यालयों में पोस्टिंग दी गई। ये पोस्टिंग जिला स्तर पर उप रजिस्ट्रार कार्यालय एवं विशेष लेखा परीक्षक कार्यालय, जोनल स्तर पर जोनल रजिस्ट्रार कार्यालय एवं रीजनल ऑडिट ऑफिस तथा जयपुर स्थित प्रधान कार्यालय में दी गई।

पोस्टिंग देने में सभी प्रकार के समीकरण सामने आये। जैसे कि कुछ लोगों को अपने गृह जिले की प्रथम प्राथमिकता प्राप्त हो गई थी, कुछ लोगों को  दूसरी या अगली प्राथमिकता के आधार पर पोस्टिंग दे दी गई। कुछ लोगों को पांच जिलों की प्राथमिकता से भिन्न स्थान पर पोस्टिंग दी गई। इनमे ज्यादातर ऐसे निरीक्षक थे, जिन्होंने किसी प्रकार की डिजायर नहीं लगाई थी। डिजायर लगाने वालों को अपनी ऐच्छिक जगह पर पोस्टिंग मिल गई थी। कुछ ऐसे जिले होते है, जहां के स्थानीय व्यक्ति नहीं होने के कारण स्वीकृत पद खाली पड़े रहते हैं। ऐसे में ऐसी जगहों पर प्राथमिकता क्रम में नहीं होने के बावजूद भी पोस्टिंग दी गई थी। जैसे कि झालावाड, बारा, धौलपुर आदि। बाहर से आने वाले भी कुछ दिनों में अपना स्थानान्तरण करवा लेते हैं, ऐसे में इन जिलों में फ्रेशर को पोस्टिंग दी जाती रही है।

सहकारिता निरीक्षक की प्रोफाइल से पहले,  मैं आपको सहकारिता विभाग के विभिन्न कार्यालयों की कार्यप्रणाली से अवगत करा देता हूँ।

विभिन्न कार्यालय एवं उनके उत्तरदायित्व 

  • सहकारिता विभाग में सबसे निचले स्तर पर यूनिट ऑफिस होता है, जो कि सामान्यतया जिला स्तर पर होती हैं। राजस्थान में इस समय 37 यूनिट ऑफिस हैं, ये 33 जिलों के अतिरिक्त ब्यावर (अजमेर), खैरथल (अलवर), अनुपगढ, जयपुर (ग्रामीण) में स्थित हैं। ये यूनिट उप रजिस्ट्रार (DR ऑफिस) के अधीन कार्य करती हैं। सहकारिता विभाग के यूनिट एरिया के सभी काम  इस कार्यालय द्वारा किए जाते हैं, जैसे संस्थाओं का पंजीकरण, निर्वाचन, परिसमापन आदि। 
  • यूनिट ऑफिस के स्थान पर एक और कार्यालय होता है- विशेष लेखा परीक्षक कार्यालय (SAऑफिस)। इसका दायित्व इकाई कार्यालय में पंजीकृत सोसाइटियों की ऑडिट करवानी होती हैं। यह कार्यालय एक सहायक रजिस्ट्रार (AR) स्तर के अधिकारी के नियंत्रण में होता हैं।
  • इसके बाद जोनल स्तर पर भी दो कार्यालय होते हैं। प्रथम, जोनल रजिस्ट्रार जो कि अतिरिक्त रजिस्ट्रार (AD) स्तर का अधिकारी होता है। द्वितीय, क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी (RAO) जो कि संयुक्त रजिस्ट्रार (JR) स्तर का अधिकारी होता हैं।
  • इसके बाद सर्वोच्च स्तर पर प्रधान कार्यालय होता हैं, जहां पर क्षेत्र-वार बहुत सारे डिवीज़न हैं। इन डिवीज़न को एक संयुक्त रजिस्ट्रार स्तर का अधिकारी संभालता हैं, उसकी सहायता के लिए सहायक रजिस्ट्रार सहित अन्य अधिकारी होते हैं। इन डिवीज़न एवं जोनल कार्यालयों को मॉनिटर करने के लिए प्रधान कार्यालय में सीनियर स्केल के अतिरिक्त रजिस्ट्रार होते हैं।
  • प्रधान कार्यालय में सर्वोच्च स्तर का अधिकारी रजिस्ट्रार होता हैं। राजस्थान सहकारिता अधिनियम (RCS Act) 2001 के सभी कार्य रजिस्ट्रार के नाम से ही होते है। सभी यूनिट कार्यालय इन्ही की प्रत्यायोजित शक्तियों का प्रयोग करते हैं। परम्परागत रूप में रजिस्ट्रार एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को नियुक्त किया जाता रहा हैं, हालांकि अधिनियम में किसी प्रकार का उल्लेख नहीं हैं।
  • सहकारी समितियों के प्रधान कार्यालय के बाद सचिवालय के अधिकारी होते हैं, जो विभाग के प्रधान सचिव के अधीन होते हैं।

SA ऑफिस झालावाड
पोस्टिंग आर्डर के माध्यम से मुझे विशेष लेखा परीक्षक के कार्यालय झालावाड में पोस्टिंग मिली थी। 24 जनवरी 2022 को मैंने यहां पर आकर कार्यग्रहण कर लिया। यह मेरी प्राथमिकता में शामिल नहीं था, फिर भी मुझे यहाँ पर पोस्टिंग दी गई। इसका एक कारण तो यह हो सकता हैं कि यहाँ पर स्वीकृत सभी पद खाली पड़े हुए थे। ऑडिट सहायक का चार्ज जो कि एक सीनियर इंस्पेक्टर के पास होना चाहिए, वो भी ऑफिस के LDC को दे रखा था। दूसरा यह कि मैंने किसी प्रकार की कोई डिजायर भी नहीं लगाईं थी। 

यहां पर SA का चार्ज भी उप रजिस्ट्रार साब को दे रखा था। वे बहुत ही सपोर्टिव थे, उन्होंने मुझे मार्च 2022 में होने वाली RAS-2021 की मुख्य परीक्षा की तैयारी पर ध्यान देने के बारे में बोला। इसलिए परीक्षा के बाद मार्च में जाकर ही मैंने ऑडिट सहायक के रूप में कार्य शुरू किया। चूंकि SA साब का पद रिक्त था और अतिरिक्त चार्ज के भरोसे चल रहा था, साथ ही कोई सीनियर इंस्पेक्टर भी कार्यरत नहीं था। इसलिए काफी दिनों तक मुझे अपना काम ही समझ नहीं आया। 

ऐसी स्थिति में मैंने RCS Act, 2001 और RCS Rule, 2003 का अध्ययन शुरू किया तो कुछ चीजे ऑडिट के बारे में मेरी समझ में आई। जिनका विवरण इस प्रकार हैं-
  • RCS Act के अनुसार प्रत्येक सोसाइटी को प्रति वर्ष अपनी ऑडिट करवाकर ऑडिट रिपोर्ट को आम सभा में सभी सदस्यों के सामने प्रस्तुत करनी होती हैं।
  • प्रत्येक सोसाइटी को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के उपरांत दो माह के भीतर ऑडिटर नियुक्ति का प्रस्ताव पारित करना होता हैं और इसकी सूचना SA ऑफिस में देनी होती हैं। अगर दो माह के भीतर SA ऑफिस को प्रस्ताव प्राप्त नहीं होता हैं तो ऑफिस अपनी तरफ से ऑडिटर नियुक्त कर देता हैं। ऐसी स्थिति में SA ऑफिस द्वारा विभिन्न एम्पनेल चार्टेड एकाउंटेंट/फ़र्म/या विभागीय ऑडिटर को शेष सोसाइटियों का ऑडिट आवंटन जारी किया जाता हैं।
  • प्रस्ताव या आवंटन के माध्यम से प्राप्त सोसाइटी की ऑडिट सितम्बर तक हो जानी चाहिए। इसके बाद विलंब पर नोटिस से लेकर आगे की कार्यवाही की जाती हैं।
  • ऑडिट रिपोर्ट में अलग से ऑडिट आक्षेप एक साथ उल्लेखित होते हैं। सोसाइटी को इन आक्षेपों को दूर करने के लिए SA ऑफिस द्वारा एक माह का समय दिया जाता हैं। इसकी अनुसार सोसाइटी द्वारा प्रस्तुत आक्षेप अनुपालना रिपोर्ट की इंस्पेक्टर द्वारा पैरा वाइज जांच की जाती हैं और नोट लिखा जाता हैं कि आक्षेप दूर करने की अनुपालना की गई हैं या नहीं। सभी आक्षेपों की अनुपालना करने की स्थिति में इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर SA साब द्वारा आक्षेप निरस्तीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।
  • आक्षेप अनुपालना रिपोर्ट पर SA साब के निर्णय के विरुद्ध RAO साब को अपील की जा सकती हैं।
  • आक्षेप अनुपालना नहीं करने की स्थिति में SA साब द्वारा उप रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर सोसाइटी के विरुद्ध कार्यवाही की मांग जा सकती हैं।
इस प्रकार ऑडिट ऑफिस के कामकाज का संचालन होता हैं। यहाँ इंस्पेक्टर का काम मुख्यतः इस प्रकार होता हैं : सोसाइटी के प्रस्ताव प्राप्त नहीं होने की स्थिति में आवंटन करवाना। विभागीय निरीक्षकों को आवंटित सोसाइटी की खुद ऑडिट करना। ऑडिट आक्षेपों के अनुपालना की जांच करना। आदि। इस प्रकार देखा जाए तो ऑडिट ऑफिस में स्थित इंस्पेक्टर के पास ज्यादा काम नहीं होता हैं। परंतु ऑडिट इंस्पेक्टर का आराम उप रजिस्ट्रार कार्यालय वालो से देखा नहीं जाता और वे समय-समय पर काम आवंटित करते रहते हैं।

उप रजिस्ट्रार कार्यालय
उप रजिस्ट्रार कार्यालय में कार्यरत इंस्पेक्टर द्वारा विभिन्न काम किए जाते हैं। जिनका विवरण इस प्रकार हैं :
  1. सहकारी समितियों का पंजीकरण: इंस्पेक्टर द्वारा नवीन सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन में कागजी कार्यवाही संपन्न करवाई जाती हैं। इसके साथ ही   
  2. आम सभाओं का आयोजन : रजिस्ट्रार साब के निर्देशों के अनुसार आयोजित होने वाली आम सभा इंस्पेक्टर की निगरानी में संपन्न होती हैं। 
  3. सहकारी समितियों में निर्वाचन : सहकारी समितियों में निर्वाचन के दौरान इंस्पेक्टर द्वारा निर्वाचन अधिकारी की भूमिका निभाई जाती हैं। 
  4. सहकारी समितियों की धारा 55 के तहत जांच
  5. सहकारी समितियों का अवसायन एवं अवसायित समिति का पुनर्गठन
  6. गोदाम निर्माण की प्रगति की निगरानी
  7. विभिन्न प्रकार की निगरानी : इंस्पेक्टर द्वारा सक्रिय एवं निष्क्रिय सोसाइटी की जानकारी, समिति की वित्तीय स्थिति, समिति के अनुपयोगी सामान, समिति द्वारा ऋण एवं अनुदान के उपयोग, लाभांश वितरण की प्रगति, राजकीय ऋण एवं ब्याज की वसूली की निगरानी की जाती हैं।
  8. समितियों के स्टॉक का भौतिक सत्यापन: समिति के स्टॉक का भौतिक सत्यापन भी इंस्पेक्टर द्वारा किया जाता हैं।     
मैं SA ऑफिस में कार्यरत था, फिर भी DR ऑफिस के कई काम मुझे आवंटित किए गये, जैसे कि- पंजीकरण, भौतिक सत्यापन आदि। साथ ही, निर्वाचन के काम के लिए बहुत सारे इंस्पेक्टरों की जरुरत होती हैं, इसलिए सभी कार्यालयों में कार्यरत इंस्पेक्टर की ड्यूटी इसमें लगाईं जाती हैं। झालावाड में हुए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के निर्वाचन में मुझे पर्यवेक्षण अधिकारी नियुक्त किया गया था।

जोनल ऑफिस एवं हेड ऑफिस में कार्यरत इंस्पेक्टर विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हैं। इसके अलावा कुछ इंस्पेक्टरों को क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के सीईओ का चार्ज दे दिया जाता है।     

निष्कर्ष 
इस प्रकार सहकारिता निरीक्षक का कार्य बहुआयामी प्रकार का है। हालाकि 2013 के संशोधन के बाद इंस्पेक्टरों की निरीक्षण शक्ति को वापस ले लिया गया हैं, इससे वर्क लोड में कमी आई हैं। इसका फायदा उठाकर इंस्पेक्टरों को भावी सुधार के लिए पढाई-लिखाई पर ध्यान देना चाहिए।