How Ages Care Each Other


Recently I stayed three days at Divisional Railway Hospital, vadodara for my medical examination to the ASM post. The report of check up takes time so During this I got much time to earn lot of observation about the care of different ages by their patronage age apart from hospital. The scary pattern I observed was about the care of elderly.

The following category are considering inside this article:
1. Care of Elderly by youngsters
2. Care of young by Elders 
3. Mutual Care of Elders

अधिकतर बुजुर्ग चलने, सुनने के सहायक उपकरणों से जूझ रहे थे। उनके साथ मे कोई भी वयस्क सदस्य नही था, ज्यादातर छोटे बच्चों के भरोसे थे।



कुछ उदाहरणो का मै यहाँ पर जिक्र करना चाहूंगा ताकि मुद्दे को स्पष्ट किया जा सके-

1. वैसे तो अस्पताल कर्मचारी बहुत ही हार्दिक व्यवहारशील थे, लेकिन दो-तीन बार मे उनके निर्देशो को ग्रहण नही करने पर बुजुर्गों के साथ काफी रूखेपन से पेश आ रहे थे। एक आदमी जोकि आंखों की समस्या के लिए आया था उसे श्रवण सम्बंधित समस्या भी थी, तो जाहिर है वह उनके निर्देशो की गलत वाख्या ग्रहण कर गया होगा। उसे मेरे सामने धक्के मारकर ओर बहरेपन पर ताना मारकर बाहर कर दिया। यह दृश्य बहुत ही व्यतीत करने वाला था।

-कहने का मतलब है कि बुढ़ापे में एक से ज्यादा समस्या एक साथ रहती है, एक का इलाज करवाओ तो दूसरी भी साथ मे तैयार रहती है। साथ ही ये समस्याए आदमी को घर और बाहर के धक्के खाने के लिए मजबूर कर देती है।

2. While our test were running in PME Hall, we were waiting outside for our turn. OPD was in front of us so most of the patients also moving from there.
एक औरत अपनी सास को पीछे छोड़कर आगे-आगे चली जा रही थी। जबकि उसकी सास बहुत ही तकलीफ से चल रही थी, वह अपने एक हाथ मे अपने पेशाब की थैली को संभाले हुए थी और दूसरे से चलने की बैशाखी को। इस समय जरूरी था कि वह उसको चलने में सहायता के लिए उसके साथ चलती। लेकिन वह एक बूढ़ी औरत के साथ चलकर अपने स्टेटस को डाउन नही करना चाहती थी।
- सीधी सी बात है भाई बुढ़ापे में आदमी साफ-सुथरा तो रहेगा नही, दिखने में भी पहले वाली बात नही होगी, हो सकता है उन्हें पेशाब की नली भी लग जाये। ऐसे में कोई भी युवा अपने को उनके साथ दिखाकर अपनी काल्पनिक छवि को खराब नही करना चाहता। ऐसी मानसिकता यहाँ काम करती है।

3. A girl who was with her grandfather, sit nearly our bench . The boys of our group putting some grass to her so to reply them she continuously blush like an complete idiot.Same time she was ignoring the old man's things, Even he took a bottle and pointed to water but she ignored it.
तब हमारे एक लड़के से रहा नही गया, वह पानी लेकर आया और उस लड़की को फटकार लगाई की "फिर किस लिए आई हो यहाँ पर, ये काम तो बाहर ही बहुत कर लेना।" उसके बाद सारे समय वह हमसे नजरें चुराती रही।
कहने का मतलब है बुढ़ापे में आदमी हर एक चीज को लेकर उपेक्षा झेलता है। चाहे बड़े हो या बच्चे, घर की बात हो या उसकी देखभाल की। आदमी को यह स्वीकार करने में बहुत समय लगता है कि कल के बच्चे आज उसका लिहाज ही नही कर रहे है। आदमी के हाथ से सत्ता निकलती है तो उसे पचाने में समय लगता है।बुजुर्गो के लिए यह बहुत तकलीफ भरा समय होता है।

But at the same time the other side of the picture also available completly opposite which i observed there .
एक लड़की स्कूटी से अपना पैर कुचलवा बैठी थी। उसके पिताजी उसे अपने पारिवारिक चुटकलों को सुनाकर यह अहसास दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि मानो कुछ हुआ ही नही हो। कहने का मतलब है कि बड़े लोग छोटे लोगो को यह अहसास भी नही होने देते की तुम गलत थे, वे बस देखभाल करते है। वही छोटे लोग बुजुर्गो को अहसास करवाते रहते है कि हम तुम पर अहसान कर रहे है, अन्यथा तो तुम बोझ ही हो।

I don't want to become a judge here who decide what is wrong with youngsters, i know, they have their own priorities. But I wants to put a effort of Administrative approach to mitigate the problem.

मुझे लगता है कि जब हमारे हाथ-पांव और दिमाग काम करता है तो उसे हम दुनिया भर के कामकाजों में लगा देते है। हम कभी सोचते भी नही है कि एक दुनिया हमे हमारे लिए भी बनाकर रखनी चाहिए जहां हम उम्र का आखिरी पड़ाव गरिमामय पूर्ण तरीके से गुजार सके, ओर अंत मे हम सम्मानजनक तरीके से दुनिया से विदा हो सके। ऐसी तैयारी हमे पहले से करके रखनी चाहिए।

यह कितना मुश्किल होता होगा न कि किसी आदमी ने जिंदगी पूरी खुद्दारी और स्वाभिमान के साथ गुजारी हो और बुढापे में किसी वजह से वह आश्रित हो जाये और उसे ताने सुनने पड़े, उपेक्षा झेलनी पड़ी, अपमानित होना पड़े। मुझे लगता है इनसे बचने की तैयारी हमे पहले से ही कर देनी चाहिए।

एक उदाहरण हम वैज्ञानिक सी वी रमन का लेते है वे जानते थे कि अपने शर्तो से समझौते करके वृद्धावस्था नही काट पाएंगे तो उन्होंने रिटायर होने से पहले ही रमन अकादमी बनवा ली ताकि बाकी की उम्र को वहां गुजारा जा सके। इसलिए हमे भी सामुदायिक तौर पर विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे संस्थानों की भारी मात्रा में स्थापना की जानी चाहिए जहां पर समान हित और रुचियों वाले बुजुर्ग लोग मिल जुल सके और युवा भी उनके माध्यम से उनके अनुभवों से लाभान्वित हो सके।

(#बुजुर्गो के जीवन को बेहतर करने के लिए आपसे भी सुझाव आमंत्रित है। इस लेख को कुछ सुझाव इकट्ठे होने पर मै फिर से सम्पादित करना चाहूंगा।)

अंत मे जाते-जाते मै एक और बात कहना चाहूंगा कि अपना जीवनसाथी ही बुढ़ापे में सबसे बड़ा देखभाली (caretaker) होता है, भले ही वह भी आपकी तरह ही असहाय क्यों न हो, बाकी तो औपचारिकता पूरी करते है। अनुभव से हासिल की गई बात है ये 